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Showing posts from 2017

कभी लगे तन्हाई सी.......

कभी ज़िन्दगी सा ना रहा कुछ, कभी लगे तन्हाई सी... मेरे संग संग तू चल रही है, बनके जैसे परछाई सी। कभी लगे तू मुझमें बसी है, कभी लगे इक अंगड़ाई सी, जिस जगह पे मैं अब जाऊँ, तू लगे पूरबाई सी। सोचूं मैं बस अब तुझे ही, है यादों में तू छायी सी, लब पे तुझको ही सजा लूँ, तू लगे इक रुबाई सी। मानता हूँ मैं तुझे बस, हो गयी तू ख़ुदाई सी, पास आके कर दे अब तू, दूर ये तन्हाई सी....। कभी ज़िन्दगी सा ना रहा कुछ, कभी लगे तन्हाई सी... मेरे संग संग तू चल रही है, बनके जैसे परछाई सी।                                     -दीपक कुमार Kabhi zindgi sa na raha kuchh, Kabhi lage tanhai si, Mere sang sang tu chal rahi hai, banke jaise parchhai si. Kabhi lage tu mujhme basi hai, Kabhi lage ek angrai si, Jis jagah pe mai ab jaun, Tu lage purbai si. Kabhi zindgi sa na raha kuchh, Kabhi lage tanhai si. Sochoon mai ab bas tujhe hi, Hai Yaadon me tu hi chhayi si, Lab pe tujhko hi saja loon, Tu lage ek rubai si.. Manta hu mai tujhe bas Ho gayi tu khudai si.. Pas aake kar de ab tu Door ye tan

तेरी तेरी स्लिम स्लिम सी बॉडी बेबी

तेरी स्लिम स्लिम सी बॉडी बेबी कैसे मैं भुलाऊँ, पास जब तू आये मैं तो मर जाऊं, कैसे कैसे मैं भुलाऊँ तेरी बातों को, अक्सर तेरी याद अब आती है मुझे रातों को, वो तेरी महक़ी महक़ी बाहें, वो उलझी निगाहें, तेरी फिगर क्यों बेबी मुझे इतना रिझायें, तू कहे तो लेट नाईट को, तुझे पिक उप करने आऊं, तेरी स्लिम स्लिम सी बॉडी बेबी कैसे मैं भुलाऊँ। नखरें तेरे सारे बड़े ही अजीब है, आगे वाली टर्न से मेरा घर क़रीब है, सोच ले तु सीधा घर पे जाना है, या फिर होटल में आज रात बिताना है, तेरी मर्ज़ी आज चलेगी नही, शॉर्ट्स वाली ड्रेस में आज तुझे आना है, सीधे सीधे आई लव यू आज तुझे बोलूँगा, राज़ सारे तुझपे आज मैं खोलूँगा, धीरे-धीरे पास तू बस मेरे आना, दूर जाने का और कोई ना हो बहाना, बस यही बातें मैं अब दोहराऊं, तेरी स्लिम स्लिम सी बॉडी बेबी कैसे मैं भुलाऊँ।                                              - दीपक कुमार                  Teri slim slim si body baby kaise mai bhulaun, paas jab tu aaye mai to mar jau, Kaise kaise mai bhualun teri baton ko, Aksar teri yaad aati hai ab mujhe raaton ko, Wo teri

प्रिये क्या अपनी प्रेमगाथा का अब यहीँ अंत हो जाएगा।

प्रिय, क्या अपनी प्रेमगाथा का अब यहीँ अंत हो जाएगा, जो कुछ पाया था मैंने क्या आज सब यहीं खत्म हो जाएगा, चित्रहीन सा अब मेरा सबकुछ, विकल्पों के वारों से, क्या हृदय का अब यहीं खंड हो जाएगा, प्रिये,क्या अपनी प्रेमगाथा का अब यहीं अंत हो जाएगा। तेरे प्यार से था जग मेरा निराला, तू ही मेरी प्रेम गीत, थी तू ही मेरी मधुशाला, ये आज अचानक कैसे जग फ़िर सा गया, एक दफा मैं फ़िर टूट सा गया, जैसे तेरा दामन मेरी हाथों से छूट सा गया, मन व्याकुल सा है अब चोट खाकर, उम्र भर क्या अब यही रंज रह जायेगा, प्रिये,क्या अपनी प्रेमगाथा का अब यहीं अंत हो जाएगा। कुछ पल तो तुझे इंतेज़ार करना था, थोड़ा ही सही हाँ मगर, मेरा ऐतबार तो करना था, ये निश्चय था के तेरा साथ अधूरा होगा, तय मगर ये भी नही था,के तेरा प्यार अधूरा होगा, अब जब तुम जा ही रही हो, फ़िर क्यों उन यादों को मेरे हवाले किये जा रही हो, जाओ इन्हें भी साथ लेकर जाना, फ़िर मुझे तुम कभी याद न आना, इक मैं और क्या केवल यादों का मंच रह जायेगा, प्रिये,क्या अपनी प्रेमगाथा का अब यहीं अंत हो जाएगा।                                                      

लहरों सा मन मेरा बह चला तेरी ओर।

लहरों सा मन मेरा बह चला तेरी ओर.. आहट तूने कैसी की ये, खींचा जाये ये बिन डोर, ऐ वो सजना थी मैं तन्हा, लाया ये तूने कैसा मोड़, भागी मैं भागी तेरी ओर... लहरों सा मन मेरा बह चला तेरी ओर। बातें जो दबी दबी सी, कहनी वो आज तुमसे है, सांसों में जो उलझी उलझी, नाम वो बस तुमसे है, रास्तें सब मिल गए हैं, मंज़िले अब तुमसे हैं, धड़कने भी मध्यम-मध्यम कर रही है शोर, भागी मैं भागी तेरी ओर... लहरों सा मन मेरा बह चला तेरी ओर। अब जो तू मिल गया है, फूल सारे खिल गया है, नज़रें तेरी आ उतार लूँ मैं, पलकों पे तुझको आ सँवार लूँ मैं, कुछ रंग थे खाली से मेरे, वो भर गए आने से तेरे, तेरे लिए रस्मों को मैने दी है अब तोड़, भागी रे भागी मैं तेरी ओर... लहरों सा मन मेरा बह चला तेरी ओर।                                                  -दीपक कुमार Lehron sa mann mera beh chala teri or, Aahat tune kaisi ki ye, khicha  jaye ye bin dor, Ai wo sajna,thi mai tanha Laya ye tune kaisa mod Bhagi re bhagi mai teri or. Lehron sa mann mera beh chala teri or. Baten jo dabi dabi si Kehni wo aaj tumse hai,

ऐ दिल तू न जाने।

ऐ दिल तू न जाने क्या मांगता है, था जो तेरा वो अब किसी और का है। परेशां तू क्यूँ इतना हरदम, यादों में उसके जो पल पल रोता है। उसी से शुरू थी वफ़ा की कहानी, अब कैसे कटेगी ये अधूरी ज़िन्दगानी, मोहब्बत में समझा था जिसको ख़ुदा, है साँसों में अब भी उसी की रवानी, वो दिलबर मेरा हो न सका, मैं खोकर भी उसको खो न सका, अब यादों में आंखों से मेरी, दिन रात बहता है पानी। ऐ दिल तू न जाने क्या मांगता है, था जो तेरा वो अब किसी और का है। कैसे मनाऊं मैं ऐ दिल तुझको, चाहत में उसने दगा दी है मुझको, वो सनम जो मेरा सनम न हुआ, उठ रहा हर तरफ यादों का धुआँ, वो इश्क़ था या थी तिज़ारत, झूठी थी यारों हा उसकी मोहब्बत, मुझपे सितम जो उसने किये हैं, इस बात की क्या ख़बर भी है उसको, ऐ दिल तू न जाने क्या मांगता है, था जो तेरा वो अब किसी और का है।                                                                                 -दीपक कुमार

मोहब्बत तो हमें भी था उनसे बेपनाह।

मोहब्बत तो हमें भी था उनसे बेपनाह, मगर कभी जताना न आया। जो पहुँचे उनके पास इश्क़ का फ़रमान लेकर, तो उन्हें निभाना न आया। ये सच है के हम भी नासमझ थे, और नादां वो भी थी, जो गिरे इश्क़ में ठोकरें खाकर हम, तो उन्हें संभालना भी न आया। मुझे यक़ीन था के तूफ़ां में, वो कस्ती का साथ नही छोड़ेंगे, ज़िक्र साहिल का वो क्या करेंगी दोस्तों, जिनका खुद अब तक किनारा न आया। न जाने उन्हें किस जीत की आस थी, दर्द से जीतें हैं हमने कई महफिलें, उम्र भर भटकते रहे मगर, खुशियों का कोई ठिकाना न आया।                                              -दीपक कुमार

ओ बेबी तेरी पतली कमर।

ओ बेबी तेरी पतली कमर सताये मुझे शाम सहर, ओ बेबी तेरी पतली कमर। चोरी-चोरी चुपके से देखा करता हूँ, रात दिन तेरे लिए आहें भरता हूँ, माना तेरे आशिक़ हैं कई सारे लड़के, पर सच्चा वाला प्यार बस मैं ही करता हूँ। सुबह करूँ, शाम करूँ तेरी बातें मैं सबसे खुलेआम करूँ, सेटिंग मैंने सारी कर ली है, इश्क़ में तुझे थोड़ा बदनाम करूँ। क्या करूँ कुछ नही आता है नज़र, ओ बेबी तेरी पतली कमर।                  सोच लिया मैंने अब कहीं न जाना है,                  वीकेंड में प्लान तेरे संग बनाना हैं।                  KFC या Mac D, पर ये सब तो पुराना है,                  चल कहीं चलते हैं रात ये सुहाना है।                  पर बाद में न कहना के,                  बेबी जल्दी घर जाना हैं।                 कैसे-कैसे बतलाऊँ मेरे क्या-क्या अरमान हैं,                 तू ही मेरा दिल ,की तू ही मेरी जान हैं।                 रोक न मुझे तू टोक न मुझे,                 दिल मेरा हुआ आज बेईमान है।                 डर लगता है कहीं ये,हसीं रात न जा गुज़र,                 ओ बेबी तेरी पतली कमर।                 सताये मुझे

दिल मेरा तोड़ा तुने

दिल मेरा तोड़ा तुने मेरा ही कुसूर था, इश्क़ में तेरे मैं बड़ा मजबूर था।                         रीजन क्या था पहले ये सोच लूं                        आंटी जी को फ़ोन करके मैं पूछ लूं,                        बेटी ने आपकी दिल मेरा दुखाया है           ब्रेकअप के बाद उसका एक फ़ोन नही आया है। Fb पे मैसेज मैं उसे करता हूँ WhatsAap पे status भी मैं change करता हूँ, इससे पहले कभी जो लिखा नही Breakup वाला song मैं अब लिखता हूँ।                              जा तू जा अब कोई ग़म नही है                              बाजू वाली भी तुझसे कम नही है,                              गर्लफ्रैंड मैं अब उसको बनाऊंगा                      गोवा वाली ट्रिप पे मैं उसे लेके जाऊंगा। अच्छा हुआ तू खुद ही मुकर गईं रात वाली हैंगओवर मेरी उतर गई, Life में अब सबकुछ साफ-साफ है सुन ऐ ज़ालिम मैने किया तुझे माफ़ है।                                                                                                               - दीपक

इक बार जो देखा मैने

इक बार जो देखा मैंने उसकी तरफ मेरी सांसे गई सांसो में कहीं तो अटक, खुली खुली जुल्फें अदायें थी क़ातिल चलती थी जैसे मटक-मटक।                                   हुआ मैं दिवाना पहली नज़र में                       चल गया जादू उसका मेरी जिगर में,                       ब्लैक स्कर्ट में वो बड़ी ही हॉट थी                      खुदा की कसम वो सेक्सी बाई गॉड थी। फॉलो करू मैं उसे बस में मिल जाये कही वो मुझे रश में, इक दो बार हुआ आँखे चार तब से ये दिल साल हो गया बिमार।                           सोचा इक बार उसे हाय कर दूँ                     दे के स्माइल उसे बॉय कर दूँ,                     कोई तो बहाना हो पास आने का                     अपनी बातों से उसे मैं शाई कर दूँ। रुक तू सुन अपना नाम तो बता करती है क्या काम तो बता, इश्क़ में तेरे सारे काम कर दूँ क्या होगा अब अंजाम तो बता।                                                                                       -  दीपक कुमार

तेरे बगैर जीना पड़ेगा।

तय ये भी नही था के तेरे बगैर जीना पड़ेगा, ज़ख्म भले गहरे ना हो मग़र उसे सिना ही पड़ेगा।                       क्यूं ये सितम है मुझपे                       के अब हर हाल में जीना ही पड़ेगा,                       ज़िंदगी अगर ज़हर है ,                       तो इसे पीना ही पड़ेगा।                                                - दीपक कुमार                            

उनसे जो कहनी हैं।

उनसे जो कहनी हैं, दिल की वो बातें हैं। सच कर दे जो सपने, आई वो रातें हैं। उनसे जो कहनी हैं, दिल की वो बातें हैं।                                कैसा ये रिश्ता जुड़ा                                हो गई मैं उनकी दीवानी,                                सांसों में वो बस गये                                धड़कन में उनकी रवानी,                                मस्ती में चलने लगी मैं                                बहता हो जैसे पानी,                                उनसे जो कहनी हैं                                दिल की वो बातें हैं। देखूँ जो मैं आइना आये है मोहे शरम, सजना मुझे न सँजना इतना ही कर दो करम, रोकू मैं कैसे खुद को कोई हो ऐसा जतन, उनसे जो कहनी हैं दिल को वो बातें हैं।                                  पलकों पे रख लू उन्हें                                  दिल में बसा लूँ कहीं,                                  मिलेंगे वो जब हमें                                  सपनें सजा लूँ अभी,                                  वादा हैं मेरा उनसे                                  स

मोहब्बत के सवाल कुछ ऐसे थे।

मोहब्बत के सारे सवाल कुछ ऐसे थे, मेरे जज़्बातों के हाल कुछ ऐसे थे।                    अभी सफ़र शुरू किया था मोहब्बत का,                    पर मन के ख़्याल कुछ ऐसे थे। जब सावन की पहली बून्द गिरी तन पे, वह अल्हड़ सोलहवी साल कुछ ऐसे थे।                   सब हंसते रहे मेरी दीवानगी पर ऐ दोस्त,      मेरी ज़िंदगी में वक़्त के बदलते माहौल कुछ ऐसे थे।                                                    - दीपक कुमार                   

मोहब्बत के सवाल कुछ ऐसे थे।

मोहब्बत के सारे सवाल कुछ ऐसे थे, मेरे जज़्बातों के हाल कुछ ऐसे थे।                    अभी सफ़र शुरू किया था मोहब्बत का,                    पर मन के ख़्याल कुछ ऐसे थे। जब सावन की पहली बून्द गिरी तन पे, वह अल्हड़ सोलहवी साल कुछ ऐसे थे।                   सब हंसते रहे मेरी दीवानगी पर ऐ दोस्त,      मेरी ज़िंदगी में वक़्त के बदलते माहौल कुछ ऐसे थे।                                                    - दीपक कुमार                   

मैं लुटा प्यार में

मैं लुटा प्यार में मेरा फ़साना लूट गया, वफ़ा के समंदर का वो खज़ाना लूट गया।                    आज भी याद है मुझे वो शाम,                   जिस शाम को मेरा दिल दिवाना लूट गया। क्या थी ख़ूबसूरत वो चांदनी रात, जिस रात को मेरा ठिकाना लूट गया।                   वो इंतज़ार की घड़ियां वो ऐतबार के पल,                   जिस पल को मेरा गाना लूट गया। सीखें थे हमने जिनसे इक़रार भला, उस इक़रार का तराना लूट गया।                  क्या नाम दूँ मै उनका ऐ रहगुज़र,                  जिनके खता पर मेरा आशियाना लूट गया।                                                                                       - दीपक कुमार                    

वो कहती रही।

वो कहती रही मै सुनता रहा, ख़्वाब उसके ही अक्सर मै बुनता रहा, एहसास तब हुआ जुदाई का, उसके जाने के बाद , जब मैं उसे ढूँढता रहा। बड़ी अजीब सी हो गई है ज़िन्दगी, अब बस यादों का किनारा है, हवाओं का ज़ोर भी नही था, और मैं सुलगता रहा।                             मन की टहनियों से,                             अब वो प्यार टपकता है,                             फिर से उसकी लाली पे,                             गिरने को ये बूंदे तरसता है।                                                        ना समझ था मैं,                             जो न उसे समझ पाया,                             कुछ मीठी बातें हैं उसकी,                             और कुछ हल्का सा साया।                                 जो हर पल चुभती है मुझको,                             आ फिर से अब रोक लूँ तुझको,                       वो खुद में सारा संसार बसाए बैठी है,                      जीवन को जैसे अमृतधार बनाये बैठी है,                               एक ही गति से वो चलती रही,                      और मैं हर कदम पे फिसलता रह

वो बचपन की चाहत भुलाऊँ मैं कैसे।

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बनाया है जो घर यादों का उसे मिटाऊँ मैं कैसे, वो बचपन की चाहत भुलाऊँ मैं कैसे। आसान इतना नही जितना मै सोचता हूँ, अपनी यादों से उसे मिटाऊँ मैं कैसे। सावन बीत रहा है मगर प्यास गयी नही, दो घूँट में सीने की प्यास बुझाऊँ मै कैसे। वो जो मेरी आवाज़ पर दौड़ा चला आता था, इतनी दूर चला गया है,उसे बुलाऊँ मै कैसे। समय की धारा ने सबकुछ बहा दिया है, जो बच गया है उसे सजाऊँ मै कैसे। उस की चाहत में मैंने कुछ न छिपाया, और कुछ भी कहना है मगर उसे बताऊ मै कैसे। वो वक़्त और था जब हम स्कूल की खिड़की से उनकी राह देखते थे, वो गुजरा हुआ कल आज वापस लाऊँ मै कैसे। उनकी ख़ातिर दुश्मनी हो गयी ज़माने से, अब दोस्ती का हाथ भला बढाऊँ मै कैसे। मौसम बदल गया प्रीत का, ज़िंदगी वीरान हो गयी, होंठों पे अब वो प्यार के गीत लाऊँ मै कैसे। सड़क आज भी वही जाती है उनके घर तक, पर अब उस राह पे जाऊँ मै कैसे। मेरी कहानी में ज़िक्र सिर्फ़ उनका ही हैं, ये हाले दिल किसी को सुनाऊँ मै कैसे। वो जो अब पड़ाया है कभी मेरा था, फिर से उसे अपना बनाऊँ मै कैसे। अतीत मेरा भी किसी राँझे से कम नही है, ये अपनी हीर को बताऊँ मै कैसे।