यादों के कम्बल में
यादों के कम्बल में हैं उन्हें सीने से लगाये बैठे हैं, कुछ दर्द है जो आज भी हम छुपाये बैठे हैं, उस रात से इस रात तक बस इतना ही फासला है, कभी वो हमारे पास थी और आज, उनकी बातों को लब पे सजाये बैठे हैं। - दीपक कुमार