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तू मुझसे टकराती है।

कुछ यूं बहाने बनाकर तू मुझसे टकराती है, जैसे समंदर की लहरों सा तू झूमकर आती है।                                                   -दीपक कुमार

लहरों सा मन मेरा बह चला तेरी ओर।

लहरों सा मन मेरा बह चला तेरी ओर.. आहट तूने कैसी की ये, खींचा जाये ये बिन डोर, ऐ वो सजना थी मैं तन्हा, लाया ये तूने कैसा मोड़, भागी मैं भागी तेरी ओर... लहरों सा मन मेरा बह चला तेरी ओर। बातें जो दबी दबी सी, कहनी वो आज तुमसे है, सांसों में जो उलझी उलझी, नाम वो बस तुमसे है, रास्तें सब मिल गए हैं, मंज़िले अब तुमसे हैं, धड़कने भी मध्यम-मध्यम कर रही है शोर, भागी मैं भागी तेरी ओर... लहरों सा मन मेरा बह चला तेरी ओर। अब जो तू मिल गया है, फूल सारे खिल गया है, नज़रें तेरी आ उतार लूँ मैं, पलकों पे तुझको आ सँवार लूँ मैं, कुछ रंग थे खाली से मेरे, वो भर गए आने से तेरे, तेरे लिए रस्मों को मैने दी है अब तोड़, भागी रे भागी मैं तेरी ओर... लहरों सा मन मेरा बह चला तेरी ओर।                                                  -दीपक कुमार Lehron sa mann mera beh chala teri or, Aahat tune kaisi ki ye, khicha  jaye ye bin dor, Ai wo sajna,thi mai tanha Laya ye tune kaisa mod Bhagi re bhagi mai teri or. Lehron sa mann mera beh chala teri or. Baten jo dabi dabi si Kehni wo aaj tumse hai,