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जहाँ रोती है मेरी मोहब्बत।

जहाँ रोती है मेरी मोहब्बत, बेवफ़ा वो तेरा ठिकाना है, लिख रहा हूँ अश्कों से जो, ये मेरा फ़साना है।                          जहाँ तूने किये थे मुझसे सौ वादे,                          जानता न था मैं तेरे इरादे,                          मैं तड़प रहा हूँ अब यहां,                          छोड़ के गये हैं तूने वो यादें।                          जाने का तेरा ये अच्छा बड़ा बहाना है,                          लिख रहा हूँ अश्कों से जो,                          ये मेरा फ़साना है। मेरी वफ़ा का तुने क्या सिला दिया, ग़म के दामन से है मुझको मिला दिया, ज़िन्दगी मेरी अब बिखर गई है, अपने हाथों से तूने ज़हर पिला दिया। वफ़ा का दर्द भी बड़ा सुहाना है, लिख रहा हूँ अश्कों से जो, ये मेरा फ़साना है।                                                       -दीपक कुमार                             

दोस्त तुझे याद तो है ना।

घर से स्कूल तक पैदल जाना, और अतरंगी बातों पे खिलखिलाना, दोस्त तुझे याद तो है ना। वो बचपन का हसीन फ़साना, दोस्त तुझे याद तो है ना। जब क़दम हमारे स्कूल की सीढ़ियों पे पड़ते थे, नैन उस लडक़ी से जा मिलते थे, हरे रंग की फ्रॉक में उसका आना, दोस्त तुझे याद तो है ना। जब सन्नाटा हर तरफ हो जाता था, जब हर कोई किताबों की गहराई में खो जाता था, तब तेरा चुपके से मेरे कानों में फुसफुसाना, दोस्त तुझे याद तो है ना। चुप चुप के जब कहानियां पढ़ते थे, एक दूसरे की ख़ातिर जब औरों से लड़ते थे, वो शोरगुल भी तो प्यारा लगता था, सच कहूं तो सबकुछ हमारा लगता था, वो बालों में नारियल तेल लगा के आना, दोस्त तुझे याद तो है ना। वो बचपन का हसीन फ़साना दोस्त तुझे याद तो है ना।                                               - दीपक कुमार