Posts

Showing posts from October, 2017

ऐ दिल तू न जाने।

ऐ दिल तू न जाने क्या मांगता है, था जो तेरा वो अब किसी और का है। परेशां तू क्यूँ इतना हरदम, यादों में उसके जो पल पल रोता है। उसी से शुरू थी वफ़ा की कहानी, अब कैसे कटेगी ये अधूरी ज़िन्दगानी, मोहब्बत में समझा था जिसको ख़ुदा, है साँसों में अब भी उसी की रवानी, वो दिलबर मेरा हो न सका, मैं खोकर भी उसको खो न सका, अब यादों में आंखों से मेरी, दिन रात बहता है पानी। ऐ दिल तू न जाने क्या मांगता है, था जो तेरा वो अब किसी और का है। कैसे मनाऊं मैं ऐ दिल तुझको, चाहत में उसने दगा दी है मुझको, वो सनम जो मेरा सनम न हुआ, उठ रहा हर तरफ यादों का धुआँ, वो इश्क़ था या थी तिज़ारत, झूठी थी यारों हा उसकी मोहब्बत, मुझपे सितम जो उसने किये हैं, इस बात की क्या ख़बर भी है उसको, ऐ दिल तू न जाने क्या मांगता है, था जो तेरा वो अब किसी और का है।                                                                                 -दीपक कुमार

मोहब्बत तो हमें भी था उनसे बेपनाह।

मोहब्बत तो हमें भी था उनसे बेपनाह, मगर कभी जताना न आया। जो पहुँचे उनके पास इश्क़ का फ़रमान लेकर, तो उन्हें निभाना न आया। ये सच है के हम भी नासमझ थे, और नादां वो भी थी, जो गिरे इश्क़ में ठोकरें खाकर हम, तो उन्हें संभालना भी न आया। मुझे यक़ीन था के तूफ़ां में, वो कस्ती का साथ नही छोड़ेंगे, ज़िक्र साहिल का वो क्या करेंगी दोस्तों, जिनका खुद अब तक किनारा न आया। न जाने उन्हें किस जीत की आस थी, दर्द से जीतें हैं हमने कई महफिलें, उम्र भर भटकते रहे मगर, खुशियों का कोई ठिकाना न आया।                                              -दीपक कुमार