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दोस्त तुझे याद तो है ना।

घर से स्कूल तक पैदल जाना, और अतरंगी बातों पे खिलखिलाना, दोस्त तुझे याद तो है ना। वो बचपन का हसीन फ़साना, दोस्त तुझे याद तो है ना। जब क़दम हमारे स्कूल की सीढ़ियों पे पड़ते थे, नैन उस लडक़ी से जा मिलते थे, हरे रंग की फ्रॉक में उसका आना, दोस्त तुझे याद तो है ना। जब सन्नाटा हर तरफ हो जाता था, जब हर कोई किताबों की गहराई में खो जाता था, तब तेरा चुपके से मेरे कानों में फुसफुसाना, दोस्त तुझे याद तो है ना। चुप चुप के जब कहानियां पढ़ते थे, एक दूसरे की ख़ातिर जब औरों से लड़ते थे, वो शोरगुल भी तो प्यारा लगता था, सच कहूं तो सबकुछ हमारा लगता था, वो बालों में नारियल तेल लगा के आना, दोस्त तुझे याद तो है ना। वो बचपन का हसीन फ़साना दोस्त तुझे याद तो है ना।                                               - दीपक कुमार