तेरे बगैर जीना पड़ेगा।
तय ये भी नही था
के तेरे बगैर जीना पड़ेगा,
ज़ख्म भले गहरे ना हो
मग़र उसे सिना ही पड़ेगा।
क्यूं ये सितम है मुझपे
के अब हर हाल में जीना ही पड़ेगा,
ज़िंदगी अगर ज़हर है ,
तो इसे पीना ही पड़ेगा।
- दीपक कुमार
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