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एक तुझे जीतकर

अनेकों बार तो मैं हृदय को तार तार आया हूँ, तुझपर अपना सारा वर्चस्व लुटा आया हूँ, अब कोई ग़म नही की मौत भी मुझे हरा दे, एक तुझे जीतकर मैं सारा जग जीत आया हूँ।                                                  -दीपक कुमार

वो धीरे से धीरे मेरी ही गली आ रही है।

धीमी धीमी सी तेरी आहटें अब आ रही है, हौले हौले से मेरी धड़कने ये बढ़ा रही है, सुन ऐ नादां दिल तू ठहर जा, एक नशा सो वो हवा में मिला रही है, वो धीरे से धीरे मेरी ही गली आ रही है। जुल्फें उसकी जो खुले तो खुशबुएं बिखरा रही है, लब जो उसके खुल पड़े तो मोतियें बरसा रही है, साजिशें वो इन फिज़ां में करके मुझको बहका रही है, वो धीरे से धीरे मेरी ही गली आ रही है। नज़रें उसकी जो उठे तो इक क़यामत वो ला रही है, उंगलियों से गेसुओं को अपने वो सुलझा रही है, राह भी अब उसकी खातिर पत्तियाँ बिछा रही है, वो धीरे से धीरे मेरी ही गली आ रही है।                                                        -दीपक कुमार

यादों के कम्बल में

यादों के कम्बल में हैं उन्हें सीने से लगाये बैठे हैं, कुछ दर्द है जो आज भी हम छुपाये बैठे हैं, उस रात से इस रात तक बस इतना ही फासला है, कभी वो हमारे पास थी और आज, उनकी बातों को लब पे सजाये बैठे हैं।                                                 - दीपक कुमार

प्रिये क्या अपनी प्रेमगाथा का अब यहीँ अंत हो जाएगा।

प्रिय, क्या अपनी प्रेमगाथा का अब यहीँ अंत हो जाएगा, जो कुछ पाया था मैंने क्या आज सब यहीं खत्म हो जाएगा, चित्रहीन सा अब मेरा सबकुछ, विकल्पों के वारों से, क्या हृदय का अब यहीं खंड हो जाएगा, प्रिये,क्या अपनी प्रेमगाथा का अब यहीं अंत हो जाएगा। तेरे प्यार से था जग मेरा निराला, तू ही मेरी प्रेम गीत, थी तू ही मेरी मधुशाला, ये आज अचानक कैसे जग फ़िर सा गया, एक दफा मैं फ़िर टूट सा गया, जैसे तेरा दामन मेरी हाथों से छूट सा गया, मन व्याकुल सा है अब चोट खाकर, उम्र भर क्या अब यही रंज रह जायेगा, प्रिये,क्या अपनी प्रेमगाथा का अब यहीं अंत हो जाएगा। कुछ पल तो तुझे इंतेज़ार करना था, थोड़ा ही सही हाँ मगर, मेरा ऐतबार तो करना था, ये निश्चय था के तेरा साथ अधूरा होगा, तय मगर ये भी नही था,के तेरा प्यार अधूरा होगा, अब जब तुम जा ही रही हो, फ़िर क्यों उन यादों को मेरे हवाले किये जा रही हो, जाओ इन्हें भी साथ लेकर जाना, फ़िर मुझे तुम कभी याद न आना, इक मैं और क्या केवल यादों का मंच रह जायेगा, प्रिये,क्या अपनी प्रेमगाथा का अब यहीं अंत हो जाएगा।