ये दर्द है मेरे अलफाजो मे तुझे ढूँढू मै किताबो मे, तेरी तलाश मे हर एक अक्षर पढ्ता हूँ और लिखता हूँ कविता तेरी यादो मे, कोई रिश्ता नही है तेरा मुझसे तू फिर भी कहीँ है मेरी जज्बातो मे, गुजरे पल याद करता हूँ मैँ अक्सर अब तन्हाई की रातोँ मे, आँखो के साथ दिल भी रोता है और ढूँढ्ता हूँ मै तुझे आँसुओ की बरसातो मे, काश ये वक़्त यहीँ ठहर जाता और कट जाती जीवन सारा तेरी बातो मे| -दीपक कुमार
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Showing posts from May, 2015
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भरी महफिल मे एक खामोशी छा गयी इस भीड् मे तन्हाई मुझको सता गयी, आज इन चेहरो को देख के मुझे फिर से किसी की याद आ गयी, हाथो मे गुलाब लेकर मै कुछ कदम ही चला था के तब तक उसकी माँ आ गयी, मेरे कदम वहीँ थम से गये दोस्तोँ और तकदीर इक बार मुझे फिर से ठुकरा गयी, मेरी नज़रे उनकी दीदार को तरसती रही और वो घर से बाहर नक़ाब मे आ गयी, अरमाँ था उन से दिल का नाता जोड्ने का मैने उन्हें खत लिखा जवाब मे वो मुझे भाई बना गयी, बेनाम है मोहब्बत मेरा इसे कोई नाम दे दो अफसाने औरो के मुझको जला गयी। - दीपक कुमार
आज तुने
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आज तुने दिया जब अपना हाथ मेरी हाथो मे मेरी सांसे अटक गई सांसो मे, न जाने कौन - सा जादू था तेरी आँखो मे मै लुट गया चन्द मुलाकातो मे, तेरा बार बार मुस्कुराकर मुझसे नज़रे मिलाना के मुझे टच कर गया तेरा पलके झुकाना, वो बातो बातो मे तेरा हर बार शरमाना मुझे करता गया दिवाना और दिवाना, तेरी गालो पे जो काला तिल है उसी की खातिर मुश्किल मे मेरा दिल है, जी करता है हरदम तेरी आंखो मे देखता रहूँ ये हिमालय की लगती कोई गहरी झील हैं। - दीपक कुमार
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मुझसे यूं जो हमेशा झूठ बोलते आये हो मुश्किलो से तुम भी कहाँ बच पाये हो , हैरान न होओ मेरी तन्हाई पे भीड् मे भी खुद को अकेला पाये हो, हम तो आप पे अरमानों की दुनिया लुटाते रहे है और इक आप हो जो हमपे सच भी न लुटा पाये हो, मोह्ब्ब्त मेरी आपकी ही अमानत है जमाने की बुरी नज़र् से कहाँ इसे बचा पाये हो, भरोसा मेरा तोड के जो यूं मुस्कुरा रहे हो खुद को भी कहाँ इस सितम से बचा पाये हो, मैं बीच तुफां में फँसा हु तो क्या तुम भी तो हर बार किनारे से उतर आये हो, वफा मेरी वही है पर ऐतवार की ताकत नही रही सहारा देकर हर बार छोड आये हो, ये अनहोनी फिर से हो रही है के खामोशी मे तुम आवाज़ लगाये हो । - Deepak Kumar