कर दे किसी को मेरे हिस्से में
बदल दे रुख मेरी तक़दीर का, कर दे किसी को मेरे हिस्से में, बहुत सुनता आया हूँ मैं, मोहब्बत को अबतक किस्से में। ज़माने में कोई तो होगा, जो सिर्फ मेरा होगा, जिसके लब पे इस क़दर सँवर जाऊ मैं, के हर शाम के बाद वो मेरा सवेरा होगा। अगर ये मुमकिन नहीं, तो मेरी गुज़ारिश हैं, कर दे शामिल मुझें भी, बदनसीबो के किस्से मे। बदल दे रुख मेरी तक़दीर का, कर दे किसी को मेरे हिस्से में। - दीपक कुमार