वो कहती रही।
वो कहती रही मै सुनता रहा, ख़्वाब उसके ही अक्सर मै बुनता रहा, एहसास तब हुआ जुदाई का, उसके जाने के बाद , जब मैं उसे ढूँढता रहा। बड़ी अजीब सी हो गई है ज़िन्दगी, अब बस यादों का किनारा है, हवाओं का ज़ोर भी नही था, और मैं सुलगता रहा। मन की टहनियों से, अब वो प्यार टपकता है, फिर से उसकी लाली पे, गिरने को ये बूंदे तरसता है। ना समझ था मैं, जो न उसे समझ पाया, कुछ मीठी बातें हैं उसकी, और कुछ हल्का सा साया। जो हर पल चुभती है मुझको, आ फिर से अब रोक लूँ तुझको, वो खुद में सारा संसार बसाए बैठी है, जीवन को जैसे अमृतधार बनाये बैठी है, एक ही गति से वो चलती रही, और मैं हर कदम पे फिसलता रह