ज़शन मेरी बर्बादी का।
ज़शन सब मना रहे थे मुझे बेख़ौफ़ लूटकर, एक तेरी यादों को कोई मुझसे छीन न पाया। -दीपक कुमार
जीवन के हर पहलू को शब्दों में बयाँ किया जाए तो बात ही निराली है। कविता, गीत और शायरी के माध्यम से अगर जिंदगी के हर लम्हे को गूँथ दिया जाए तो एक ऐसी माला तैयार होती है जिसकी महक निरंतर फैलती ही जाती है और जो कभी पुरानी नही होती। कुछ ऐसे ही पलों को बयां करती है ये ब्लॉग, जिससे प्रेम रस परस्पर टपकता है।