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कुछ अधूरे सवालों का जवाब मागूँगा मैं।

काश के ऐसा हो जाये, तू मुझे फिर कहीं मिल जाये, जिंदगी से उसदिन सारे हिसाब मागूँगा मैं, कुछ अधूरे सवालों का जवाब मागूँगा मैं।

तू ही बता कहां-कहां से गुजरे?

जमीं से गुजरे, आसमां से गुजरे, बड़ी शिद्दत से तेरे इम्तिहां से गुजरे, पुरी क़ायनात को खँगाल आयें इक तेरे इश्क़ में हम, तू ही बता अब कहाँ-कहाँ से गुजरे?                                           -दीपक कुमार

नशा भर के देख लूँ तुझे।

नशा भर के देख लूँ तुझे शराब समझकर, कोई ग़जल न लिख दूं मैं फ़िर तुझे अल्फ़ाज़ समझकर। इस क़दर जूनून छाया है मुझपर तेरे इश्क़ का, जूगनूयें दिन में उड़ाता हूँ मैं रात समझकर। हर दुआओं में बस एक तुझे ही मांगता हूँ मैं, बड़ी सिद्दत से पढ़ता हूँ तुझे नमाज़ समझकर। लोगों में चर्चें न फैल जाए हमारे, अब तक छुपा रखा है तुझे राज़ समझकर। तू इश्क़ की एक लंबी सी चादर है, आ तुझे ओढ़ लूँ मैं रस्मे-रिवाज़ समझकर। तू भी आजमले की कितनी शिक़ायत है मुझे तुझसे, मैं रूठा हूँ मुझे मना ले नाराज़ समझकर। मोहब्बत इस जहां में कौन मुझसा तुझपर लुटायेगा, बड़े सलीक़े से संभाला है तुझे मौसमे-गुलज़ार समझकर।                                                     - दीपक कुमार

मैं हूँ और बस मेरी तन्हाई है।

मुझे ख़ुद से अब इतनी रुसवाई है, की हर तरफ़ तेरी यादों की परछाईं है, दूर तलक मेरी नजरें तुझे ढूंढ़कर लौट आती है, अब मैं हूँ और बस मेरी तन्हाई है।                                                   -दीपक कुमार

एक तुझे जीतकर

अनेकों बार तो मैं हृदय को तार तार आया हूँ, तुझपर अपना सारा वर्चस्व लुटा आया हूँ, अब कोई ग़म नही की मौत भी मुझे हरा दे, एक तुझे जीतकर मैं सारा जग जीत आया हूँ।                                                  -दीपक कुमार

अंदर तक हिला दूंगा मैं।

किसी रोज़ मिलो तो मिलके सारे गिले शिकवे मिटा दूंगा मैं, लगा कर तुझे सीने से अंदर तक हिला दूंगा मैं।                                                      -दीपक कुमार

किसी और को ख़ुदा किया है तुमने

फिर से मुझे रुषवा किया है तुमने, के खुद से मुझे जुदा किया है तुमने, बहुत मलाल है मुझे दिल टूटने का, ठुकरा कर मुझे किसी और को खुदा किया है तुमने।