रुका रुका सा वक्त था मेरा
रुका रुका सा वक्त था मेरा तुने आकर इसे बहकाया है, इस बेचैन मन की दुनिया मे एक नया एहसास जगाया है। तु भी अंजान थी और मै भी बेगाना था दोनो थे बेखबर ये कैसा अफसाना था, लोगों मे चर्चा ये शायद पुराना था के झगड्ने के बहाने हमे तो पास आना था। दोस्तो ने भी मुझसे अब ये फरमाया है क्या कोई मन मे एहसास जगाया है। चाय की चुसकियो पे भी सवाल होते थे जब हम ना कह दे तो भी बवाल होते थे, किस्सा अजीब सा हो गया था हमारा हम तो सफर मे भी कमाल करते थे। के अजीब सा उम्ंग तुने लाया है एक नया एहसास जगाय है। धीरे – धीरे से दुरिया मिटती रही मै तुझसे और तु मुझसे जुड्ती रही, जब खुले आसमा के नीचे मैने तुझे पुकारा मेरे अलफाज़ो मे तु सिमटती रही। स्वीकार कर तुने चाहत जताया है