तू ही बता कहां-कहां से गुजरे?
जमीं से गुजरे, आसमां से गुजरे, बड़ी शिद्दत से तेरे इम्तिहां से गुजरे, पुरी क़ायनात को खँगाल आयें इक तेरे इश्क़ में हम, तू ही बता अब कहाँ-कहाँ से गुजरे? -दीपक कुमार
जीवन के हर पहलू को शब्दों में बयाँ किया जाए तो बात ही निराली है। कविता, गीत और शायरी के माध्यम से अगर जिंदगी के हर लम्हे को गूँथ दिया जाए तो एक ऐसी माला तैयार होती है जिसकी महक निरंतर फैलती ही जाती है और जो कभी पुरानी नही होती। कुछ ऐसे ही पलों को बयां करती है ये ब्लॉग, जिससे प्रेम रस परस्पर टपकता है।