मैं लुटा प्यार में
मैं लुटा प्यार में मेरा फ़साना लूट गया, वफ़ा के समंदर का वो खज़ाना लूट गया। आज भी याद है मुझे वो शाम, जिस शाम को मेरा दिल दिवाना लूट गया। क्या थी ख़ूबसूरत वो चांदनी रात, जिस रात को मेरा ठिकाना लूट गया। वो इंतज़ार की घड़ियां वो ऐतबार के पल, जिस पल को मेरा गाना लूट गया। सीखें थे हमने जिनसे इक़रार भला, उस इक़रार का तराना लूट गया। क्या नाम दूँ मै उनका ऐ रहगुज़र, जिनके खता पर मेरा आशियाना लूट गया। - दीपक कुमार