मोहब्बत के सवाल कुछ ऐसे थे।
मोहब्बत के सारे सवाल कुछ ऐसे थे,
मेरे जज़्बातों के हाल कुछ ऐसे थे।
अभी सफ़र शुरू किया था मोहब्बत का,
पर मन के ख़्याल कुछ ऐसे थे।
जब सावन की पहली बून्द गिरी तन पे,
वह अल्हड़ सोलहवी साल कुछ ऐसे थे।
सब हंसते रहे मेरी दीवानगी पर ऐ दोस्त,
मेरी ज़िंदगी में वक़्त के बदलते माहौल कुछ ऐसे थे।
- दीपक कुमार
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