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Showing posts from November, 2018

जहाँ रोती है मेरी मोहब्बत।

जहाँ रोती है मेरी मोहब्बत, बेवफ़ा वो तेरा ठिकाना है, लिख रहा हूँ अश्कों से जो, ये मेरा फ़साना है।                          जहाँ तूने किये थे मुझसे सौ वादे,                          जानता न था मैं तेरे इरादे,                          मैं तड़प रहा हूँ अब यहां,                          छोड़ के गये हैं तूने वो यादें।                          जाने का तेरा ये अच्छा बड़ा बहाना है,                          लिख रहा हूँ अश्कों से जो,                          ये मेरा फ़साना है। मेरी वफ़ा का तुने क्या सिला दिया, ग़म के दामन से है मुझको मिला दिया, ज़िन्दगी मेरी अब बिखर गई है, अपने हाथों से तूने ज़हर पिला दिया। वफ़ा का दर्द भी बड़ा सुहाना है, लिख रहा हूँ अश्कों से जो, ये मेरा फ़साना है।                                                       -दीपक कुमार                             

अब जो आओगी तो फिर जाना नही।

सुनो, अब जो आओगी तो फ़िर जाना नही, जैसे पहले मेरा दिल दुखाया था फिर दुखाना नही। अभी तो मैं ठीक से संभल भी नही पाया हूँ, पकड़ के हाथ मेरा फिर गिराना नहीं। कम्बख़त तेरी ज़ुल्फ़ें जो मेरी उँगलियों में उलझ जाया करती थी कभी, अब उन्हें फिर से सुलझाना नही। अब जो आओगी तो फिर जाना नही। वक़्त के साथ मेरी तहरीर बदल गयीं, कभी लगाया था जो किसी कोने में अब वो तस्वीर बदल गयी, अब तेरी यादों से परे मुक़म्मल नींद में हूं मैं, अपनी आहट से फिर मुझे जगाना नही। अब ये ऐलान है मेरा की, इश्क़-ए-दरिया में इतना डूबा हूं, की फ़िर से मुझे डुबाना नही। अब जो आओगी तो फिर जाना नही। अब जो आओगी तो फिर जाना नही।