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ऐ दिल तू न जाने।

ऐ दिल तू न जाने क्या मांगता है, था जो तेरा वो अब किसी और का है। परेशां तू क्यूँ इतना हरदम, यादों में उसके जो पल पल रोता है। उसी से शुरू थी वफ़ा की कहानी, अब कैसे कटेगी ये अधूरी ज़िन्दगानी, मोहब्बत में समझा था जिसको ख़ुदा, है साँसों में अब भी उसी की रवानी, वो दिलबर मेरा हो न सका, मैं खोकर भी उसको खो न सका, अब यादों में आंखों से मेरी, दिन रात बहता है पानी। ऐ दिल तू न जाने क्या मांगता है, था जो तेरा वो अब किसी और का है। कैसे मनाऊं मैं ऐ दिल तुझको, चाहत में उसने दगा दी है मुझको, वो सनम जो मेरा सनम न हुआ, उठ रहा हर तरफ यादों का धुआँ, वो इश्क़ था या थी तिज़ारत, झूठी थी यारों हा उसकी मोहब्बत, मुझपे सितम जो उसने किये हैं, इस बात की क्या ख़बर भी है उसको, ऐ दिल तू न जाने क्या मांगता है, था जो तेरा वो अब किसी और का है।                                                                                 -दीपक कुमार