सितमगर ज़माने ने
सितमगर ज़माने ने सताया न होता, मुझको तेरी याद आया न होता। मै तो तन्हा था कब से, तेरी यादों ने रुलाया न होता। न लिखता मैं ग़ज़ल साकी, गर तुने उल्फत जताया न होता। गिर जाते अश्क़ आंखों से मेरे, जो खुद को संभाला न होता। न जीता ग़म के अँधेरे में, तुने पलकों से मुझे गिराया न होता।