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ये तय हुआ था।। @https://youtu.be/0lymVTMh7Ns

साथ साथ चलना है ये तय हुआ था, इस शहर में रहना भी तय हुआ था। अब जो चले गए हो मुझे बेघर करके, एक घर मे साथ साथ रहना भी तय हुआ था। उम्मीद है तुम अपनी ख़बर देते रहोगे, जुदा होकर भी खत लिखना ये तय हुआ था। मोहब्बत में यादें सिर्फ मेरे हिस्सें ही आयी, जबकि याद तू भी करेगी ये तय हुआ था। सोचा इसबार की तेरी आख़िरी ख़त भी जला दूंगा मैं, मगर खयाल आया कि तुझे आबाद रखना भी तय हुआ था। मेरे ज़ेहन से तू आज भी जाती नही है, भुलाया मैं भी नही जाऊंगा ये तय हुआ था। बिछड़ कर जो मुझसे दूर रहने लगे हो, बगैर मेरे एक पल भी न रह पाओगे ये तय हुआ था।                                                        -दीपक कुमार

मंज़िले तुमने तय की

मंज़िले तुमने तय की, मग़र रास्ते सारे अंजान थे, कुछ सिमटी हुई यादें ही, तुम्हारे पहचान थे। पल में तुमने अपना कारवां बदल लिया, मगर आगे ज़िंदगी के जंग-ए-मैदान थे, और मुसीबतों से लगे तुम घबराने, पर तुम्हें ये मालूम न था, के वो दर्द ही तुम्हारे जान थे। कब तलक भागते फिरोगे अपने आप से, यहाँ पल में हर मंज़र बदल जाते हैं, अब बटोर लो उन्हें जो बिख़र गए हैं, बेदर्द इस दुनिया मे सच्चे तुम्हारे मुस्कान थे।                                                     -दीपक कुमार

तेरे बगैर जीना पड़ेगा।

तय ये भी नही था के तेरे बगैर जीना पड़ेगा, ज़ख्म भले गहरे ना हो मग़र उसे सिना ही पड़ेगा।                       क्यूं ये सितम है मुझपे                       के अब हर हाल में जीना ही पड़ेगा,                       ज़िंदगी अगर ज़हर है ,                       तो इसे पीना ही पड़ेगा।                                                - दीपक कुमार