दिल अक्सर तुझसे मिलने को रोता है।
न जाने क्यों ये बार बार होता है,
दिल अक्सर तुझसे मिलने को रोता है,
जब तु नज़रों से ओझल हो जाती हैं,
तब ये चुपके से आहें भरता हैं।
जुदाई तुझसे एक पल की भी ना सही जाती है,
अक्सर तन्हाई में तेरी याद बहुत आती है,
मन बावरा बेचैन हो उठता है,
जब तुझसे बात न हो पाती है।
फिर एहसासों के समंदर में एक लहर सा उठता है,
दिल अक्सर तुझसे मिलने को रोता है।
जनता हूँ मैं तेरे काबिल नही,
जो चीज़ चाहा वो हासिल नही,
मोहब्बत में तेरे सबकुछ भुला दिया हूँ,
तेरे सिवा अब कोई मेरा मंज़िल नही।
मन अंदर ही अंदर एक हुंकार भरता है दिल अक्सर तुझसे मिलने को रोता है।
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