मैं हूँ और बस मेरी तन्हाई है।

मुझे ख़ुद से अब इतनी रुसवाई है,
की हर तरफ़ तेरी यादों की परछाईं है,
दूर तलक मेरी नजरें तुझे ढूंढ़कर लौट आती है,
अब मैं हूँ और बस मेरी तन्हाई है।

                                                  -दीपक कुमार

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