यादों के कम्बल में
यादों के कम्बल में हैं उन्हें सीने से लगाये बैठे हैं,
कुछ दर्द है जो आज भी हम छुपाये बैठे हैं,
उस रात से इस रात तक बस इतना ही फासला है,
कभी वो हमारे पास थी और आज,
उनकी बातों को लब पे सजाये बैठे हैं।
- दीपक कुमार
जीवन के हर पहलू को शब्दों में बयाँ किया जाए तो बात ही निराली है। कविता, गीत और शायरी के माध्यम से अगर जिंदगी के हर लम्हे को गूँथ दिया जाए तो एक ऐसी माला तैयार होती है जिसकी महक निरंतर फैलती ही जाती है और जो कभी पुरानी नही होती। कुछ ऐसे ही पलों को बयां करती है ये ब्लॉग, जिससे प्रेम रस परस्पर टपकता है।
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