अब जो आओगी तो फिर जाना नही।
सुनो, अब जो आओगी तो फ़िर जाना नही,
जैसे पहले मेरा दिल दुखाया था फिर दुखाना नही।
अभी तो मैं ठीक से संभल भी नही पाया हूँ,
पकड़ के हाथ मेरा फिर गिराना नहीं।
कम्बख़त तेरी ज़ुल्फ़ें जो मेरी उँगलियों में उलझ जाया करती थी कभी,
अब उन्हें फिर से सुलझाना नही।
अब जो आओगी तो फिर जाना नही।
वक़्त के साथ मेरी तहरीर बदल गयीं,
कभी लगाया था जो किसी कोने में अब वो तस्वीर बदल गयी,
अब तेरी यादों से परे मुक़म्मल नींद में हूं मैं,
अपनी आहट से फिर मुझे जगाना नही।
अब ये ऐलान है मेरा की,
इश्क़-ए-दरिया में इतना डूबा हूं,
की फ़िर से मुझे डुबाना नही।
अब जो आओगी तो फिर जाना नही।
अब जो आओगी तो फिर जाना नही।
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