क्या मैंने जीवन में है पाया।
समझ समझ के समझ न पाया,
क्या मैंने जीवन मे है पाया।
तन शीतल है, मन शीतल है,
पर जलती है हर क्षण काया।
जलती है जैसे हर क्षण काया।
अरमानों का ज़ोर बहुत है,
और ये मन विभोर बहुत है,
हर पल मैंने जीत के हारा,
ये क़िस्मत की कैसी है माया।
जलती है जैसे हर क्षण काया।
और ये मन विभोर बहुत है,
हर पल मैंने जीत के हारा,
ये क़िस्मत की कैसी है माया।
जलती है जैसे हर क्षण काया।
बरसों से तो हम है प्यासे,
जाने किसको है हम तरासे,
अपने अतीत को कैसे मैं भूलूँ,
ये मुश्क़िल है फिर से आया ।
जलती है जैसे हर क्षण काया।
जाने किसको है हम तरासे,
अपने अतीत को कैसे मैं भूलूँ,
ये मुश्क़िल है फिर से आया ।
जलती है जैसे हर क्षण काया।
राह कठिन है साँस न ठहरा,
हाय,जीवन का ज़ख़्म है गहरा,
हँसती है दर्पण अब मुझपे,
कौन है अब है किसकी साया।
जलती है जैसे हर क्षण काया।
हाय,जीवन का ज़ख़्म है गहरा,
हँसती है दर्पण अब मुझपे,
कौन है अब है किसकी साया।
जलती है जैसे हर क्षण काया।
सपनों के कोई मोल न जाने,
तन्हाई के बोल न जाने,
दूर कही हैं हमसे क्यूँ वो,
लब पे जिनका नाम है आया।
जलती है जैसे हर क्षण काया।
तन्हाई के बोल न जाने,
दूर कही हैं हमसे क्यूँ वो,
लब पे जिनका नाम है आया।
जलती है जैसे हर क्षण काया।
- दीपक कुमार
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